Wednesday, May 31, 2017

रेशमाबाई.............डॉ. भावना














रेशमाबाई
सिर्फ एक नाम नहीं
रेडलाइट एरिया की औरत की

यह पहचान है
पुरूष की पाशविक प्रवृति की

औरत की लाचारी
भूख की अकुलाहट
अशिक्षा रूपी अंधकार
बेकार हाथ

जब तक नहीं रौंदते किसी को
तब तक कोई रेशमा
नहीं बनती "रेशमा बाई"

- डॉ. भावना 
मुजफ्फरपुर, बिहार.

6 comments:

  1. रेशमी सपनो के रेशे दर रेशे
    लूटते नोचते नाचते पेशे
    पायल के रुनझुन रोदन
    और वासना के वीभत्स क्रंदन
    की कराहती मुस्कान
    और निर्लज्ज नर पशुओं
    के पाखंडी समाज की
    दर्द ए दास्तान है
    रेशमबाई!
    ..........समाज की सच्चाई को उँगली दिखाने के लिए बधाई!!!

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  2. बिल्कुल ठीक कहा आपने

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरूवार (01-06-2017) को
    "देखो मेरा पागलपन" (चर्चा अंक-2637)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत सुन्दर....
      सटीक..

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