Tuesday, November 8, 2016

अनुराग...........डॉ. गुलाम मुर्तज़ा शरीफ़


वामना की कामना में
पुरोधिका का त्याग,
क्या यही है अनुराग!

वदतोव्याघात करते हो,
वाग्दंड देते हो,
दावा है पुरुषश्रेष्ट का,
कैसा निभाया साथ!!
क्या यही है अनुराग!!

पुष्प का पुष्पज लेकर,
मधुकर जताता प्यार,
गुनगुना कर, मन रिझाकर,
चूस लेता पराग!!
क्या यही है अनुराग!!

चारूचंद्र की चारूता,
मधुबाला की मादकता,
मधुमती की चपलता,
तजकर सब का प्यार,
क्यों लेते हो वैराग!!
क्या यही है अनुराग!!
-डॉ. गुलाम मुर्तज़ा शरीफ़

वामना = अप्सरा (सुन्दर परी)
कामना = अभिलाषा (ख्वाहिश)

पुरोधिका = सुशील स्त्री (नेक औरत)

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 09 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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