Tuesday, November 22, 2016

रिश्ते ऐसे क्यों मै निभाऊँ....नादिर खान

दुखड़ा अपना किसको सुनाऊँ
का पहनूँ मै, और का खाऊँ

जब दामों में आग लगी हो
क्या सौदा बाज़ार से लाऊँ

मंहगाई अब मार रही है
कैसे इससे पिंड छुड़ाऊँ

खुद अपना ही बोझ बना मै
कैसे घर का बोझ उठाऊँ

विद्यालय की फीस बहुत है
अब बच्चों को कैसे पढ़ाऊँ

पैसों से हैं, बनते बिगड़ते
रिश्ते ऐसे क्यों मै निभाऊँ

हैं झूठी तारीफ के भूखे
अब इनको मै क्या समझाऊँ 

-नादिर खान

3 comments: