यात्रा कितनी भी कर ली जाए
बहुत कुछ छूट ही जाता है।
सफ़र पर
सब जल्दी में रहते हैं
गंतव्य तक
थक चुके होते हैं।
उसने कहा
वह सफ़र पर है
वह इंतज़ार में रही
कि सफ़र कब खत्म हो।
मुझे यात्राएँ पसंद हैं लेकिन
यात्राएँ मुझे थका देती हैं।
यात्रा में लोगों के साथ
कोई वह भी होता है
जो वहाँ नहीं होता है।
बड़ी यात्रा पर निकलने से पूर्व
छोटी यात्राएँ ज़रूर करनी चाहिएँ।
यात्राएँ बहुत कुछ देती हैं
यात्राएँ बहुत कुछ ले भी लेती हैं।
मैं अपनी पर यात्रा अकेले हूँ
लेकिन यात्रा में बहुत लोग हैं।
लोगों में और यात्रा में गहरा संबंध होता है।
यात्रा के अनेक पड़ाव होते हैं
कुछ अच्छे,कुछ ठीक तो कुछ बेहद बुरे।
पड़ाव न हों तो यात्री थकान से भर जाएँगे।
पड़ाव यात्रा के चलते रहने के लिए आवश्यक हैं।
कभी-कभी अप्रत्याशित पड़ाव
यात्रा को बाधित कर देते हैं।
कुछ लोग आपको धकेल कर
यात्रा में आगे भागते हैं
आप उन्हें सर उठा कर देखते हैं।
अक्सर सहयात्रियों को लोग याद नहीं रखते
आखिर क्या-क्या याद रखा जाए।
यात्रा लंबी हो या छोटी
समतल कभी नहीं होती है।
कुछ नदियाँ लंबी यात्रा की भागीदार होती हैं।
कुछ पेड़ स्वयं चुनते हैं
अपने मार्ग और यात्रा को।
यात्रा सदैव "यात्रीगण कृपया ध्यान दें"
कहकर सचेत नहीं करती
यात्रा में सचेत रहना पड़ता है।
हवा,पानी,व्यक्ति और शब्द निरंतर यात्रा में रहते हैं।
शब्दों की यात्रा सहयात्रियों के लिए खुराक है।
-इन्दु सिंह
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2001...यात्रा के अनेक पड़ाव होते हैं...) पर गुरुवार 07 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर और बड़ी सच्ची अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
शानदार भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteअद्भुत! भावाभिव्यक्ति।
यात्रा सदैव "यात्रीगण कृपया ध्यान दें"
ReplyDeleteकहकर सचेत नहीं करती
यात्रा में सचेत रहना पड़ता है।
हवा,पानी,व्यक्ति और शब्द निरंतर यात्रा में रहते हैं।
शब्दों की यात्रा सहयात्रियों के लिए खुराक है।
..बहुत सही ..
कुछ भटकती, कुछ भटकाती यात्रा
ReplyDeleteएक सार्थक अर्थ भरा सृजन।
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