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उनकी बात सुनेगा कौन ।
ज़िद पर आज़ झुकेगा कौन ।।
की है बगावत जनता ने ।
साहब तुम्हें चुनेगा कौन ।।
बिक जाते हैं चैनल जब ।
सच को आम करेगा कौन ।।
दिल्ली की सर्दी से अब ।
तन कर और लड़ेगा कौन ।।
हम पर कीचड़ फेंक रहा ।
तेरे साथ चलेगा कौन ।।
ताना शाही चेहरे पर ।
तुझसे दर्द कहेगा कौन।।
आएं फिर सत्ता में वो ।
आपना हाथ मलेगा कौन ।।
सोच समझ कर निर्णय ले ।
कल तुझको पूछेगा कौन ।।
मैं कड़ुआ सच लिखता हूँ ।
मेरी ग़ज़ल पढ़ेगा कौन ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
सुन्दर
ReplyDeleteवाह!बेहतरीन ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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