इक चेहरे पर रोज़ गुज़ारा होता है 
प्यार किसी को कब दोबारा होता है 
मैं तुम पर हर बार भरोसा करता हूँ 
इतना सच्चा झूठ तुम्हारा होता है 
तुम मेरे इस दिल को पागल मत कहना 
अपना बच्चा सब को प्यारा होता है 
तुम जाओ पर यादों को तो रहने दो 
यादों का भी एक सहारा होता है 
उस पंछी का हाल 'सचिन' किस ने समझा 
जो पिंजरे में क़ैद दोबारा होता है 
-सचिन 'शालिनी'

 
बहुत ही पसंद आई रचना, बहुत खूब कहा है
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 26 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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