Wednesday, June 10, 2020

यूँ सताया ना करो ....अख़्तर खत्री

अपने एहसासों को यूँ छुपाया ना करो,
चुप रह कर तुम मुझे यूँ सताया ना करो ।

अल्फ़ाज़, ख़ामोशी से अच्छे ही होते हैं,
सिर्फ़ इशारों से इश्क़ को जताया ना करो ।

कुछ बेचैन सा हो जाता है, ये मेरा मन,
रूठ कर के मेरी जान जलाया ना करो ।

ख़ुद आ कर के जान लो तुम मेरा हाल,
गैरों से ऐसे मेरा हाल पुछवाया ना करो ।

बिछड़ कर तुमसे, जी नहीं पाऊंगा मैं,
'अख़्तर' तुम्हारा है, भूल जाया ना करो ।

-अख़्तर खत्री

6 comments:

  1. ख़ुद आ कर के जान लो तुम मेरा हाल,
    गैरों से ऐसे मेरा हाल पुछवाया ना करो
    वाह!

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 10 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11.6.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3729 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  4. अल्फ़ाज़, ख़ामोशी से अच्छे ही होते हैं,
    सिर्फ़ इशारों से इश्क़ को जताया ना करो ।
    बहुत सुंदर।

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज गुरुवार (11-06-2020) को     "बाँटो कुछ उपहार"      पर भी है।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. सुंदर प्रस्तुति

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