Wednesday, February 28, 2018

आयत और श्लोक.............. रचना सिंह

"आयतें" आती थीं
होली दिवाली "श्लोकों" के घर 
पर धमाके नहीं होते थे

"श्लोक" आते थे
ईद बकरीद "आयतों" के घर 
पर खून खराबे नहीं होते थे

फिर अब क्यों ये हो रहा है 
क्यों धमाके और ख़ून खराबे से 
होली दिवाली ईद बकरीद 
पर जशन नहीं मातम होते हैं
-रचना सिंह

1 comment:

  1. इंसानियत की बजाय लोगो मे जब अलग अलग धर्म की मान्यता हो तो ऐसा होता है।

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