Monday, February 12, 2018

स्याही से नहीं रुहानी लिखना.....कुसुम कोठारी

कोरे पन्ने पे कोरी कहानी लिखना
स्याही से नहीं रुहानी लिखना 

उछल के समंदर से जो आया वो पानी लिखना
उस रुके पानी में फिर रवानी लिखना

किताबों मे जो गुलाब थे वो निशानी लिखना
उन सुखे फूलों की खुशबू  सुहानी लिखना

क्षितिज पर मिलते धरती आसमान लिखना
मन आकाश को छूती गजल सुहानी लिखना ।

-कुसुम कोठारी 

3 comments:

  1. क्या खूब लिखा
    शानदार प्रस्तुति

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-02-2018) को दही जमाना छोड़ के, रही जमाती धाक; चर्चामंच 2877 पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    महाशिवरात्रि की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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