Friday, February 2, 2018

ताँका.....डॉ. सुरंगमा यादव

निज शक्ति का
हनुमत को जब 
हुआ आभास
पल में लाँघ लिया 
निस्सीम पारावार ।
..................
प्रकृति सदा 
निरत रहती है 
निज कार्यों में 
मनुज होकर तू
व्यर्थ वक़्त बिताये।
...................
पथ बाधा से 
विचलित होकर 
जीवन व्यर्थ 
सच्चा मनुज वही 
जो करता संघर्ष।
-डॉ. सुरंगमा यादव

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-02-2018) को "धरती का सिंगार" (चर्चा अंक-2868) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर प्रेरणा दायक।

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  3. 👏👏👏उत्तम अति उत्तम ...कर्म का आव्हान

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  4. आदरणीय आप सभी को सादर धन्यवाद।

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