Wednesday, July 15, 2015

पाल बैठा बड़ी उम्मीद बेवफा तुमसे...नवीन त्रिपाठी


बहुत तन्हा हूँ मैं ये वक्त कह गया हमसे।
पाल बैठा बड़ी उम्मीद बेवफा तुमसे ।।

दोस्ती आज बे नकाब मेरी महफ़िल में ।
दीदार फिर से वो मेरा करा गया गम से ।।

फ़िक्र जिस जिस की मैं दिन रात किया करता था।
वही खंजर यहां मुझपर चला गया दम से ।।

मेरे नीलाम की बोली में वह भी हाजिर था ।
मेरी औकात की कीमत लगा गया कम से ।।

-नवीन त्रिपाठी
उर्दू शायरी बज़्म

5 comments:

  1. मेरे नीलाम की बोली में वह भी हाजिर था ।
    मेरी औकात की कीमत लगा गया कम से ।।

    उम्दा.........

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  2. आदर्नीया यशोदा जी मेरी ग़ज़ल तक आप पहुच गयीं इसके लिए हार्दिक आभार ।
    आप से जुड़ना एक शुखद अनुभूति है ।

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  3. आदर्नीया यशोदा जी मेरी ग़ज़ल तक आप पहुच गयीं इसके लिए हार्दिक आभार ।
    आप से जुड़ना एक शुखद अनुभूति है ।

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  4. आदर्नीया यशोदा जी मेरी ग़ज़ल तक आप पहुच गयीं इसके लिए हार्दिक आभार ।
    आप से जुड़ना एक शुखद अनुभूति है ।

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