डराने वाला सुनकर डर रहा है
हथेली पर हमारा सर रहा है
जला देगा अगर रोका गया तो
अभी लावा सफ़र तय कर रहा है
दुआ दी थी जिसे जीने की तुमने
दुआ मर मर के पूरी कर रहा है
वो जिस बस्ती में दिखता है धुआँ सा
उसी बस्ती में मेरा घर रहा है
तिरा महबूब वो होने से पहले
हमारे साथ भी अक्सर रहा है
आयुष ‘चराग़’ 09953925743

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