Friday, November 7, 2014

नजर आता नहीं इंसान बाबा...........चाँद शेरी



नहीं तू इस कदर धनवान बाबा
खरीदे जो मेरा ईमान बाबा

न तू बन इस कदर शैतान बाबा
कि हो सब बस्तियां वीरान बाबा

ये छोड़ अब मंदिर-मस्ज़िद के झगड़े
अरे छेड़ एकता की शान बाबा

न बांट इनको ज़बानों-मज़हबों में
सभी भारत की है संतान बाबा

गरीबों को मिले दो वक़्त की रोटी
कोई तो इतना रखे ध्यान बाबा

मुखौटे ही मुखौटे हर तरफ हैं
नजर आता नहीं इंसान बाबा

नई कुछ बात कह शेरों में 'शेरी'
गजल को दे नया उनवान बाबा

-चाँद शेरी

... पत्रिका से

3 comments:

  1. महबूब शायर चाँद शेरी जी की बहुत सुंदर गजल से मुलाकात हुई है .............. आभार

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  2. न तू बन इस कदर शैतान बाबा
    कि हो सब बस्तियां वीरान बाबा
    सच को अकिंत करती ग़ज़ल कुछ सालों में बाबाओं को जो रूप सामने आया हैं उसे देखकर तो यहीं कहां जा सकता हैं।
    http://savanxxx.blogspot.in

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