Saturday, November 29, 2014

जाने क्यूँ !!!...................सदा

 










शब्दों की चहलकदमी से
आहटें आती रहीं
सन्नाटे को चीरता
एक शोर
कह जाता कितना कुछ
मौन ही !
बिल्कुल वैसे ही
मेरी खामोशियाँ आज भी
तुमसे बाते करती हैं
पर ज़बां ने खा रखा है
चुप्पी का नमक
कुछ भी कहने से
इंकार है इसे
जाने क्यूँ !!! 

-सदा
......फेसबुक से

4 comments:

  1. उम्दा

    इक शोर सा मचा है जहन के सन्नाटे में
    इक आवाज गुज़रती है दिल के दरीचे से
    हर शाख पर फूल तन्हाई के खिले हैं
    ख्वाब मचलते है ज़ज्बातों के बगीचे में

    अज़ीज़ जौनपुरी

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  2. मौन की गहराई को व्यक्त करती अभिव्यक्ति! साभार! आदरणीया यशोदा जी!
    धरती की गोद

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  3. गहन अभिव्यक्ति...

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