Thursday, August 16, 2012

ज़िन्दगी जब भी मुस्कराएगी........कवि अशोक कश्यप

ज़िन्दगी जब भी मुस्कराएगी
हर झरोखे से महक आएगी

नहीं छेड़ो हया का राग कोई
चांदनी में दुल्हन नहाएगी

ज़रा खोलो तो पंख हिम्मत के
ये ज़मीं छोटी नज़र आएगी

सोचता हूँ के आज भिड़ जाऊ
मौत तो वैसे भी आएगी ...?

आग है हर तरफ महंगाई की
क्या वह खाएगी-पकाएगी...?

सहे सिन्धु सहारा सरिता का
यहाँ प्रलय जरूरी आएगी

शेर, चीते, सियार हँसते हैं
गाय कोई इधर से आएगी

आदमी कुछ भी कर नहीं सकता
जब ये कुदरत सितम ढहायेगी

क़र्ज़ थोड़ा सा और लेता हूँ
आज ससुराल बेटी जायेगी

आज फिर पीके बापू आया है
आई आटा उधार लाएगी

आज मांजी के पैर दाबे थे
क्या ये तरकीब रंग लाएगी ...?

ज़िन्दगी जब भी मुस्कराएगी
हर झरोखे से महक आएगी

---कवि अशोक कश्यप

22 comments:

  1. भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
    कश्यप जी को बधाई !

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    1. धन्यवाद भाई धीरेन्द्र जी

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  2. वाह... लाजवाब
    ये जिन्दगी...... गले लगा ले.....

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    1. शुक्रिया राहुल
      सच में दिल से कह रही हूँ

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  3. " Aadmi kutch bhi-----,jab yeh Kudrat sitam dhayegi." Kashyap ji ki kalpana ne es dharti per charo varg ka jeevan; Zarr, Vanaspati, Pashu aur Manav rishto ko ek tarazoo pe rakh diya he, sub ka basher mitna hi, sirf himmat aur jan sewa zindagi me muskan la sakti he ; Bahut uttam aakhri chhand__ " tabhi her jharokhe se mehak aayegi."

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  4. शुक्रिया रविकर भाई

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  5. इन्तज़ार सब कर रहे, हो मुखरित मुस्कान।
    उपवन में कब खिलेंगे, सुमनों के परिधान।।

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  6. अपनी सी लगती सुंदर रचना....
    सादर।

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  7. धन्यवाद भाई जान

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  8. शेर, चीते, सियार हँसते हैं
    गाय कोई इधर से आएगी

    बहुत खूब है
    शेर है चीता है
    साथ में
    सियार भी जीता है !

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    1. आप और हम भी हैं
      आभारी हूँ

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  9. बेहद खूबसूरत ..

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  10. बहुत खूबसूरत गजल...

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    1. धन्यवाद आपने सराहा

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  11. भाई
    वन्दन
    धन्यवाद

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  12. Thank you very much Yashoda ji.........

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    1. आपका आपके नये घर में स्वागत है
      पूरा बाग घूमिये
      आभार
      सादर
      यशोदा

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