Thursday, June 20, 2019

कुछ शेर हवाओं के नाम …मंजू मिश्रा

हवाओं की..  कोई सरहद नहीं होती
ये तो सबकी हैं बेलौस बहा करती हैं
**
हवाएँ हैं, ये कब किसी से डरती हैं
जहाँ भी चाहें बेख़ौफ़ चला करती हैं
**
चाहो तो कोशिश कर के देख लो मगर
बड़ी ज़िद्दी हैं कहाँ किसी की सुनती हैं
**
हवाएँ न हों तो क़ायनात चल नहीं सकती 
इन्ही की इनायत है कि जिंदगी धड़कती है 
- मंजू मिश्रा
बेलौस - निस्वार्थ, बिना किसी भेदभाव के

6 comments:

  1. यथार्थ पूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया मंजू मिश्रा जी

    ReplyDelete
  2. हवाएँ न हों तो क़ायनात चल नहीं सकती
    इन्ही की इनायत है कि जिंदगी धड़कती है
    बहुत सुंदर ...

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन सृजन दी जी
    प्रणाम

    ReplyDelete
  4. वाह!!!बेहतरीन !!

    ReplyDelete
  5. हवाएँ न हों तो क़ायनात चल नहीं सकती
    इन्ही की इनायत है कि जिंदगी धड़कती है
    ....बहुत सुंदर

    ReplyDelete