Saturday, November 18, 2017

नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ,,,,बाबा नागार्जुन

प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ,
सात साल की बच्ची का पिता तो है!
सामने गियर से उपर
हुक से लटका रक्खी हैं
काँच की चार चूड़ियाँ गुलाबी
बस की रफ़्तार के मुताबिक
हिलती रहती हैं…
झुककर मैंने पूछ लिया
खा गया मानो झटका
अधेड़ उम्र का मुच्छड़ रोबीला चेहरा
आहिस्ते से बोला: हाँ सा’ब
लाख कहता हूँ नहीं मानती मुनिया
टाँगे हुए है कई दिनों से
अपनी अमानत
यहाँ अब्बा की नज़रों के सामने
मैं भी सोचता हूँ
क्या बिगाड़ती हैं चूड़ियाँ
किस ज़ुर्म पे हटा दूँ इनको यहाँ से?
और ड्राइवर ने एक नज़र मुझे देखा
और मैंने एक नज़र उसे देखा
छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में
तरलता हावी थी सीधे-साधे प्रश्न पर
और अब वे निगाहें फिर से हो गईं सड़क की ओर
और मैंने झुककर कहा -
हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ
वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे
वरना किसे नहीं भाँएगी?
नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ!

- बाबा नागार्जुन

7 comments:

  1. चुडियों की हल्की खनक
    सुनाती एक संगीत लहरी
    विदाई का संगीत
    कहती बाबूल मे सोन चिरईयां,
    खनकाती चुडियां ले
    तेरे दरख्त से उड किसी
    और मुंडेर पर जा बैठूंगी
    आंख से झरते मोती छोड
    तेरे आंगन को सूना कल
    कहीं और जा बसूंगी।
    बाबा नागार्जुन जी की मर्मस्पर्शी कविता गहरे कहीं अन्तः स्थल को छू गई।
    आपको ढेर सा आभार यशोदा जी इसे प्रेसित करने के लिए।
    सुप्रभात शुभ दिवस।

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    1. बहुत खूब कहा कुसुम जी ने बाबा नागार्जुन के बारे में...

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  2. बाबा नागार्जुन अदभुत लिखते हैं।

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  3. आज तो यशोदा जी, आपने बाबा को साक्षात् हमारे सामने ला दिया... छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में, तरलता हावी थी सीधे-साधे प्रश्न पर...बेटियां ऐसी ही होती हैं स्‍वयं गुलाबी चूडियों में लिपटी-गुंथी हुई सी...धन्‍यवाद

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-11-2017) को "श्रीमती इन्दिरा गांधी और अमर वीरंगना लक्ष्मीबाई का 192वाँ जन्मदिवस" (चर्चा अंक 2792) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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