Tuesday, November 20, 2012

पाँच शूलिकाएँ...................संजय जोशी "सजग"


* शुलिका 1 *
घोटाले पर घोटाले
जब खुलते घोटाले
हर दल उसको टाले
सब के हाथ है काले


* शुलिका 2 *
महंगाई के बम फूटे
सरकार के बहाने झूटे



* शुलिका 3 *
हमारा माल
बेचे विदेशी मॉल
केसा बिछा रहे जाल
क्यों कर रहे हलाल
देश होगा कंगाल
जनता होगी बदहाल



* शुलिका 4 *

राजनीति का द्वन्द
धरना, प्रदर्शन, बंद
खुश होते है कुछ चंद
कितने चूल्हे रहते बंद


* शुलिका 5 *
घोटाले का बीज बोओ
भ्रष्टाचार से सींचो
रिश्वत के फल तोड़ो
ऐसे पेड़ पर लगते पैसे
*कौन कहता है ..पैसे पेड़...पर नही लगते ..............

संजय जोशी "सजग"

13 comments:

  1. yatarth ki bahu -aayami prastuti

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  2. शुक्रिया प्रदीप भाई

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  3. यशोदा बहन जी ....आपका आभार और शुक्रिया ...आपने मेरी ..शूलिका को नया आयाम दिया ...:):):)

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    1. शुभ प्रभात संजय भाई
      छा गई आपकी शूलिकाएँ
      आप छः से दस की तैय्यारी कीजिये
      सादर

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    1. दीदी....
      मैंनें नहीं संजय भैय्या की रचना है ये

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  5. भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

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  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.......

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  7. यशोदा जी, पहली बार आपको पढ़ने का सौभाग्य मिला.. और पढ़कर बहुत अच्छा लगा ! :)
    संजय जोशी जी... बहुत बढ़िया प्रस्तुति !:)
    सच ही तो है...कौन कहता है, पैसे पेड़ पर नहीं लगते...
    ~सादर !!!

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    1. शुक्रिया दीदी
      अभी मैंने भाई संजय जी को कहा है
      आप तो छा गए
      शूलिका -6 से 10 की तैय्यारी करिये

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  8. आप सभी का आत्मीय धन्यवाद ......

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