Wednesday, August 5, 2020

उनके गम तो मिले हैं ...पावनी दीक्षित "जानिब"

तू है आसमा और मैं हूं ज़मीं
तेरा मेरा मिलन होना मुश्किल है।

मैं सागर किनारे पड़ी रेत हूं
मेरी किस्मत में ना कोई साहिल है।

क्यों इल्जाम दें जहां में किसीको
मेरा दिल ही मेरे दिल का कातिल है।

वो ना सही उनके गम तो मिले हैं
उनकी यादों का हक हमको हासिल है।

तेरे दर पे हम फूल लाए थे लेकिन
सुना यह अमीरों की महफिल है।

बहुत दर्द जानिब हुआ हाथ छूटा
के जुदा आज से अपनी मंजिल है।

-पावनी दीक्षित "जानिब" 
सीतापुर

5 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    https://charchamanch.blogspot.com
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  3. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

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  4. सुन्दर प्रस्तुति

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