Tuesday, August 11, 2020

हृदय में मत कर वृथा गुमान ...सुभद्राकुमारी चौहान

यह मुरझाया हुआ फूल है, 
इसका हृदय दुखाना मत।
स्वयं बिखरनेवाली इसकी, 
पँखड़ियाँ बिखराना मत॥

गुज़रो अगर पास से इसके 
इसे चोट पहुँचाना मत।
जीवन की अंतिम घड़ियों में, 
देखो, इसे रुलाना मत॥

अगर हो सके तो ठंढी-बूँदे 
टपका देना प्यारे।
जल न जाय संतप्त हृदय, 
शीतलता ला देना प्यारे॥


डाल पर वे मुरझाये फूल! 
हृदय में मत कर वृथा गुमान।
नहीं हैं सुमनकुंज में अभी 
इसीसे है तेरा सम्मान॥

मधुप जो करते अनुनय 
विनय ने तेरे चरणों के दास।
नई कलियों को खिलती देख 
नहीं आवेंगे तेरे पास॥

सहेगा वह कैसे अपमान? 
उठेगी वृथा हृदय में शूल।
भुलावा है, मत करना गर्व, 
डाल पर के मुरझाये फूल!!
-सुभद्राकुमारी चौहान

सुनिए यू ट्यूब में

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 11 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. लाजवाब...
    🙏🙏🙏🙏🙏

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