Monday, December 16, 2019

चंद हाइकु ...नादिर अहमद खान

दुख (हाईकु)
सूखती नदी
उजड़ते मकान
अपना गाँव

कैसा विकास
लोगों की भेड़ चाल
सुख न शांति

गाँवों में बसा  
नदियों वाला देश
पुरानी बात 

सूखती नदी
बढ़ता गंदा नाला
मेरा शहर 

बिका सम्मान
क्या खेत खलिहान
दुखी किसान 

लोग बेहाल
गिरवी जायदाद
कहाँ ठिकाना 

सड़े अनाज
जनता है लाचार
सोये सरकार 

3 comments:

  1. प्रशंसनीय

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  2. सच में यार कभी नदियों और खेतों से भरे गाँव आज सूखी नदियों और गंदे नालों में बदल गए हैं। सच कहूँ तो विकास के नाम पर हमने गाँवों की आत्मा ही बेच डाली। किसान, जो इस देश की रीढ़ है, वही सबसे ज़्यादा लाचार है और सरकार बस सोती रहती है।

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