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सृष्टि से उत्पन्न
ब्रह्मांड के चर-अचर
समस्त जीव-निर्जीव
ग्रह-गोचर,नक्षत्र,उल्का,पिंड
जीवन,प्रकृति का सूक्ष्म से सूक्ष्म कण,
सभी अपनी निर्धारित
सीमाओं से बँधे
अपनी निश्चित परिधियों में
घूमते
तट से वचनबद्ध
निरंतर अपने
कर्मपथ पर,
अपनी तय उम्र जीने को
विवश हैं
क्योंकि निर्धारित अनुशासन है
स्पीड ब्रेकर की तरह,
सीमाओं का उल्लंघन,
असमाऩ्य गतिशीलता,
असंतुलित बहाव
और
धुरी से विलगता का परिणाम
भुगतना पड़ता है।
स्पीड ब्रेकर को अनदेखी
किये जाने की
लापरवाही से उपजी
विनाशकारी
और जानलेवा हादसों की तरह।
-श्वेता सिन्हा
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