Monday, October 7, 2019

"मै जा रहा हूँ।"


एक सेठ  से लक्ष्मी  जी  रूठ गई ।
जाते वक्त  बोली मैं जा रही  हूँ...
और... मेरी जगह  नुकसान आ रहा है ।
तैयार  हो जाओ।

लेकिन  मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।
मांगो जो भी इच्छा  हो।

सेठ बहुत समझदार  था।
उसने विनती  की नुकसान आए तो आने  दो ।

लेकिन  उससे कहना की मेरे परिवार  में आपसी  प्रेम  बना रहे।

 बस मेरी यही इच्छा  है।

 लक्ष्मी  जी  ने  तथास्तु  कहा।

 कुछ दिन के बाद :-

सेठ की सबसे छोटी  बहू  खिचड़ी बना रही थी।

उसने नमक आदि  डाला  और अन्य  काम  करने लगी।

तब दूसरे  लड़के की  बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।

इसी प्रकार  तीसरी, चौथी  बहुएं  आई और नमक डालकर  चली गई ।

उनकी सास ने भी ऐसा किया।
शाम  को सबसे पहले सेठ  आया।
पहला निवाला  मुह में लिया।
देखा बहुत ज्यादा  नमक  है।
लेकिन  वह समझ गया  नुकसान (हानि) आ चुका है।

चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया
इसके बाद  बड़े बेटे का नम्बर आया।

पहला निवाला  मुह में लिया।
पूछा पिता जी  ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?

सभी ने उत्तर दिया :- " हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।"

अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ  नही  बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।

इस प्रकार घर के अन्य  सदस्य  एक -एक आए।

पहले वालो के बारे में पूछते और.. चुपचाप खाना खा कर चले गए।

रात  को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर

सेठ से कहने लगा : -  "मै जा रहा हूँ।"

सेठ ने पूछा :- क्यों ?

तब नुकसान (हानि ) कहता है, " आप लोग एक किलो तो नमक खा गए  ।

लेकिन  बिलकुल  भी  झगड़ा  नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।"
जहाँ प्रेम है , वहाँ लक्ष्मी  का वास है।

अच्छे के साथ अच्छे बनें ,
पर  बुरे के  साथ बुरे नहीं।

4 comments:

  1. दिग्विजय जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति है. . आज धन दौलत से ज्यादा मुश्किल है प्रेम पाना और दूसरों के दिल में अपनी जगह बनाना


    लक्ष्मी भी उसी पर मेहरबान होती है जिसके पास प्रेम व परोपकार की भावना हो 🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर प्रेरक कथा ।

    ReplyDelete
  3. अति उत्तम सार्थक संदेश

    ReplyDelete
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-10-2019) को     "झूठ रहा है हार?"   (चर्चा अंक- 3482)  पर भी होगी। --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    -- 
    श्री रामनवमी और विजयादशमी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete