Sunday, February 17, 2019

दहशत का रास्ता...मंजू मिश्रा

सरहदों पर यह लड़ाई
न जाने कब ख़त्म होगी
क्यों नहीं जान पाते लोग
कि इन हमलों में सरकारें नहीं
परिवार तबाह होते हैं

कितनों का प्रेम
बिछड़ गया आज ऐन
प्रेम के त्यौहार के दिन
जिस प्रिय को कहना था
प्यार से हैप्पी वैलेंटाइन
उसी को सदा के लिए खो दिया
एक ख़ूंरेज़ पागलपन और
वहशत के हाथों

अरे भाई
कुछ मसले हल करने हैं
तो आओ न...
इंसानों की तरह
बैठें और बात करें
सुलझाएं साथ मिल कर
लेकिन नहीं, तुम्हे तो बस
हैवानियत ही दिखानी है
तुम्हे इंसानियत से क्या वास्ता
तुमने तो बस...
चुन लिया है दहशत का रास्ता
- मंजू मिश्रा

5 comments:


  1. Enter your comment...

    कि इन हमलों में सरकारें नहीं
    परिवार तबाह होते हैं....तभी तो हमले होते है अगर सरकारें तबाह होने | जंग ही न हो |नमन
    सादर

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  2. इन्सान ढूँढें आईये। नमन ।

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 136वां बलिदान दिवस - वासुदेव बलवन्त फड़के और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. सुंदर कृति। सही बात यह खून खराबा न जाने कब खत्म होगा।

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