Tuesday, October 16, 2018

ये आँसू यूँ ही तो बहते नहीं हैं ......रंजना वर्मा

वजह बिन फ़ासला रखते नहीं हैं 
किसी से दुश्मनी करते नहीं हैं 

भरेंगे जल्द ही सब घाव तन के
जखम अब ये बहुत गहरे नहीं हैं 

समझ लेता सभी का दर्द है दिल
ये आँसू यूँ ही तो बहते नहीं हैं 

सहेजी अश्क़ की दौलत जिगर में
जवाहर ये अभी बिखरे नहीं हैं 

दुआ में माँगते खुशियाँ जहाँ की
किसी से हम कभी जलते नहीं हैं 

हैं हँसते लोग अक्सर दूसरों पे 
मगर खुद पे कभी हँसते नहीं हैं 

जमाना साथ आये या न आये
मगर हम राह से भटके नहीं हैं
-रंजना वर्मा

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-10-2018) को "विद्वानों के वाक्य" (चर्चा अंक-3127) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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