Thursday, November 9, 2017

तारों के पीछे....कुँवर कुसुमेश

छिपी है शै कोई तारों के पीछे,
ख़ुदा होगा चमत्कारों के पीछे.

मेरे महबूब तू गुम हो गया है,
सुकूने-दिल है दीदारों के पीछे,

सुना है डॉक्टर हड़ताल पर हैं,
खड़ी है मौत बीमारों के पीछे.

खबर सच्ची नहीं मिल पा रही है,
है कोई हाथ अखबारों के पीछे.

हमेशा प्यार से हिल मिल के रहना,
यही पैग़ाम त्योहारों के पीछे.

तेरे अपने 'कुँवर' दुश्मन हैं तो क्या,
चला चल तू इन्हीं यारों के पीछे.
  
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शै = चीज़,  दीदार = दर्शन, 
सुकूने-दिल = दिल का सुकून.

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (10-11-2017) को
    "धड़कनों को धड़कने का ये बहाना हो गया" (चर्चा अंक 2784)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. मेरे महबूब तू गुम हो गया है,
    सुकूने-दिल है दीदारों के पीछे....
    उम्दा गजल।।।।

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