Tuesday, November 28, 2017

व्यथा शब्दों की....शबनम शर्मा


आसमान के ख़्याल,
धरा की गहराई, 
रात्री का अँधेरा, 
दिन की चमक, 
शब्द बोलते हैं।

इन्सान की इन्सानियत,
हैवान की हैवानियत, 
फूल की मुस्कान, 
काँटों का ज्ञान, 
शब्द बोलते हैं।

प्रकृति का प्रकोप, 
जवान की शहादत, 
विधवा का विलाप, 
बच्चों की चीत्कार, 
शब्द बोलते हैं।

शब्दों की चोट,
मन की खोट, 
नज़रों का फेर, 
गहन अन्धेर, 
शब्द बोलते हैं।

शब्दों पर कटाक्ष, 
शब्दों पर प्रहार, 
शब्दों का दुरुपयोग, 
शब्दों का आत्मदाह, 
सिर्फ़ शब्द झेलते हैं।

- शबनम शर्मा

8 comments:

  1. बहुत खूबसूरत लिखा आपने, शब्द अहसास को रुप देते है, सारगर्भित रचना.. शुभ दिवस...!!

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  2. शब्द ही नाद है शब्द ही ब्रह्म है
    शब्द ही आत्मा शब्द ही धर्म है
    शब्द ही कर्म हमारा शब्द ही मर्म है
    शब्द ही पहिचान हमारी शब्द स्वयं ईश्वर है
    जो कुछ है जगत मे केवल और केवल शब्द ही शब्द है

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-11-2017) को "कहलाना प्रणवीर" (चर्चा अंक-2802) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आप सभी सुधीजनों को "एकलव्य" का प्रणाम व अभिनन्दन। आप सभी से आदरपूर्वक अनुरोध है कि 'पांच लिंकों का आनंद' के अगले विशेषांक हेतु अपनी अथवा अपने पसंद के किसी भी रचनाकार की रचनाओं का लिंक हमें आगामी रविवार(दिनांक ०३ दिसंबर २०१७ ) तक प्रेषित करें। आप हमें ई -मेल इस पते पर करें dhruvsinghvns@gmail.com
    हमारा प्रयास आपको एक उचित मंच उपलब्ध कराना !
    तो आइये एक कारवां बनायें। एक मंच,सशक्त मंच ! सादर

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  5. शब्द मन के भावों को अभिव्यक्त करने का एक माध्यम हैं और मन के एहसास बताते हैं जैसे की ये लाजवाब रचना ...

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  6. बहुत सुंदर रचना
    बधु

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