Monday, November 20, 2017

अबकी बार लौटा तो .......कुंवर नारायण सिंह


1927-2017
अबकी बार लौटा तो 
बृहत्तर लौटूंगा 
चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं 
कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं 
जगह दूंगा साथ चल रहे लोगों को 
तरेर कर न देखूंगा उन्हें 
भूखी शेर-आँखों से 

अबकी बार लौटा तो 
मनुष्यतर लौटूंगा 
घर से निकलते 
सड़को पर चलते 
बसों पर चढ़ते 
ट्रेनें पकड़ते 
जगह बेजगह कुचला पड़ा 
पिद्दी-सा जानवर नहीं 

अगर बचा रहा तो 
कृतज्ञतर लौटूंगा 

अबकी बार लौटा तो 
हताहत नहीं 
सबके हिताहित को सोचता 
पूर्णतर लौटूंगा
- कुंवर नारायण सिंह



6 comments:

  1. बृहतर, मनुष्यतर,कृतज्ञतर वाह भावों की पराकाष्ठा।
    सुंदर।

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  2. नमन है मेरा कलम के श्रेष्ठ सिपाही को ...

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  3. सबके हिताहित को सोचता पूर्णता लौटूंगा... बहुत सुंदर

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