Saturday, December 17, 2016

बेटी............डॉ. ऋचा सत्यार्थी



प्यार भरा 
एक गीत है बेटी 
जीवन का 
संगीत है बेटी....

बेटी जैसे 
शीतल बयार 
बेटी जैसे 
रिमझिम फुहार 
जो महककाए 
घर का आंगन 
बेटी है 
वो खिली बहार 
एक सुहाना 
मौसम जैसे 
ऐसे मन का 
मीत है बेटी...

बेटी काजल 
बेटी कंगना 
बेटी मंदिर 
बेटी अंगना 
बेटी से 
संसार है अपना 
बेटी से ही 
हर इक सपना 
सात रंगों 
का इन्द्रधनुष 
जीवन भर की 
प्रीत है बेटी..

बेटी लक्ष्मी
बेटी सीता 
बेटी कुरान 
बेटी गीता 
बेटी है 
एक गौरव गाथा 
बेटी है तो 
सब जग जीता 
संस्कारों की 
डोर बंधी 
जैसे पावन 
रीत है बेटी....!

-डॉ. ऋचा सत्यार्थी
.......मधुरिमा से

3 comments:

  1. बेटी की तरह सुन्दर कविता ।

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  2. बहुत सुन्दर शब्द रचना।
    वाह

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  3. आपने बेटी को जितनी खूबसूरती से शब्द दिए हैं, वो हर पंक्ति में महसूस होता है। “बेटी शीतल बयार” और “बेटी रिमझिम फुहार” जैसे रूपक इतने प्यारे हैं कि पढ़ते ही घर-आंगन की तस्वीर सामने आ जाती है। मुझे सबसे ज्यादा अच्छा लगा कि तुमने बेटी को सिर्फ परिवार की शान नहीं, बल्कि संस्कारों और जीवन की असली ताकत बताया।

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