Saturday, December 10, 2016

प्रिय के लिये तरसता रहा.....मीना जैन


रात भर
मेरे आँगन
हरसिंगार झरता रहा

रात भर
पू्र्णिमा का चाँद
लहरों से गुहार करता रहा

रात भर
सागर का ज्वार
तट पर आकर गरजता रहा

रात भर
नेह का बादल
प्यासी पृथ्वी पर बरसता रहा

रात भर
विरही मन
प्रिय के लिये तरसता रहा

रात भर
हवाओं में
एक गीत का स्वर उभरता रहा ।

-मीना जैन

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