Friday, April 22, 2016

बड़े बावरे हिन्दी के मुहावरे......भावेश सोनी


         
 
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,
खाने पीने की चीजों से भरे है....

कहीं पर फल है तो कहीं आटा दालें है ,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है ,

फलों की ही बात ले लो....
आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,

कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,

कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती,

कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,

कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है, 

मुफलिसी में जब आटा गीला होता है ,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,

सफलता के लिए बेलने पड़ते है कई पापड़,
आटे में नमक तो जाता है चल, 

पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है, 

गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं, 

कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है ,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,

किसी के दांत दूध के हैं ,
तो कई दूध के धुले हैं,

कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,

किसी को छटी का दूध याद आ जाता है ,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है ,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है ,

शादी बूरे के लड्डू हैं , जिसने खाए वो भी पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है ,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,

कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...

कभी कोई चाय पानी करवाता है,
कोई मख्खन लगाता है

और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है ,
तो सभी के मुंह में पानी आता है,
भाई साहब अब कुछ भी हो ,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है,

जितने मुंह है, उतनी बातें हैं, 
सब अपनी अपनी बीन बजाते है,

पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है ,

सभी बहरे है, बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें हैं ...

-भावेश सोनी

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23 -04-2016) को "एक सर्वहारा की मौत" (चर्चा अंक-2321) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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