Wednesday, September 16, 2015

मैं भी हूँ मुझको कुछ करने की इजाज़त दे दो.....नुरूलअमीन "नूर "


अब मेरे दिल को धडकने की इजाज़त दे दो 
अपने दिलकी तरफ चलने की इजाज़त दे दो

मांगकर देख लिया कुछ नहीं हुआ हासिल 
हमें भी आँखें मसलने की इजाज़त दे दो

तुम्हें लगता है के फैला है अँधेरा हम से 
खुशी खुशी हमें जलने की इजाज़त दे दो

अना की धूप से दिल में बहार आती नहीं 
खुश्क आँखों को बरसने की इजाज़त दे दो

भूल ना जाऊं कहीं मैं तेरे गम का सावन 
अपनी जुल्फों से लिपटने की इजाज़त दे दो

तुम हीं थीं जिसके लिए ताज बनाया उसने 
मैं भी हूँ मुझको कुछ करने की इजाज़त दे दो

अब के मैं तेरे आस्ताने पे सर रख दूंगा 
फिर अपने दर से गुजरने की इजाज़त दे दो

ये सच्चा चेहरा मुझे "नूर" दे गया धोका 
मुझे भी चेहरा बदलने की इजाज़त दे दो

-नुरूलअमीन "नूर "

5 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 17-09-2015 को चर्चा मंच के अंक चर्चा - 2101
    में की जाएगी
    धन्यवाद

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  2. अच्छी प्रस्तुति......सुन्दर

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  3. वाह बहुत खूब। सुंदर प्रस्‍तुति।

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  4. नुरूलअमीन "नूर " की सुन्दर गजल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

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