Wednesday, February 4, 2015

वसंत ऋतु अति मन भावन............गोविन्द भारद्वाज


 कुछ वासंती हाईकू


कोयल कूके
वन-उपवन में
मन के बीच

धरा ने ओढ़ी
वसंती चुनरिया
फूलों से जड़ी

वसंत ऋतु
अति मन भावन
घर-आंगन


नए कोंपल
पुरानी डालपर
नए कपड़े

प्रेम की पाती
लगती वसंत में
जीवन धरा

धरती झूमें
पहन पीली साड़ी
जैसे दुल्हन

मन-आंगन
खिल गई कलियां
भंवरे डोले

तितली रानी
आई है वसंत में
फूल खिलाने

जड़ बंजर
सबकी गोद भरी
इस ऋतु में

मीठी ठण्ड में
आई ओढ़ रजाई
बसंती हवा

महक उठा
सांसों का उपवन
छूकर उसे

नाचे मयूरा
मन उपवन में
पंख पसार


-गोविन्द भारद्वाज


..............पत्रिका से
 

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