Monday, December 30, 2013

हवा यूं तो हर दम भटकती है.............मुहम्मद अलवी साहब


हवा यूं तो हर दम भटकती है, लेकिन
हवा के भी घर हैं
भटकती हवा
जाने कितनी दफ:

 
शह्द की मक्खियों की तरह
घर में जाती है अपने !
अगर ये हवा
घर न जाए तो समझो
के उसके लिए घर का दरवाज़ा वा
फिर न होगा कभी
और उसे और ही घर बनाना पड़ेगा
ये हम और तुम
और कुछ भी नहीं
हवाओं के घर हैं !


-मुहम्मद अलवी साहब


http://wp.me/p2hxFs-1AN

5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना बुधवार 01/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. सुन्दर.......नव वर्ष मंगलमय हो

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  3. सुन्दर प्रस्तुति अल्वी जी.

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