हर तरफ है रिवाज पत्थर का
रिश्ते-नाते, समाज पत्थर का
रिश्ते-नाते, समाज पत्थर का
नाव काग़ज़ की चल न पाई तो
कीजिए काम-काज पत्थर का
पूछते हैं तबीब आ आकर
रोज़ हमसे इलाज पत्थर का
कीजिए काम-काज पत्थर का
पूछते हैं तबीब आ आकर
रोज़ हमसे इलाज पत्थर का
आज फूलों की हुक्मरानी है
कल जहां पर था राज पत्थर का
कल जहां पर था राज पत्थर का
ख़ून से लाल हो गई धरती
देखिए एहतेजाज पत्थर का
देखिए एहतेजाज पत्थर का
बादशाहे-ज़मां ने बिलआखि़र
रख लिया सर पे ताज पत्थर का
रख लिया सर पे ताज पत्थर का
हम ना कहते थे होशियार रहो
अब चुकाओ खि़राज पत्थर का
अब चुकाओ खि़राज पत्थर का
मोम जैसी सिफ़ात वाले भी
काम करते हैं आज पत्थर का
काम करते हैं आज पत्थर का
पानी-पानी में हो गया ‘शाही’
जूं ही बदला मिज़ाज पत्थर का
जूं ही बदला मिज़ाज पत्थर का
-----डॉ. मोईनुद्दीन ‘शाहीन’
https://www.facebook.com/www.naighazal.in
प्रस्तुतिः अमितेश जैन
थैंक्स यशोदा दी
ReplyDeleteप्रभावी ।।
ReplyDeleteबधाई ।।
बहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteSundar rachna :)
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