जबकि पुस्तकालय मेंखड़ा आदमी खड़े-खड़े ही पहुँच गयादेश-दुनिया के कोने-कोने में
जैसे हवा-सूरज, धूप-पानी और बादल फिर भी देश मेंसबसे अधिक हैं चौराहे ही।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 28 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 28 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
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