Saturday, December 6, 2014

मील का पत्थर........ दिनेश विजयवर्गीय










कदमों की प्रगति की पहचान है
मील का पत्थर
वह अलसाए कदमों में
जान डालकर
उन्हें कर देता है गतिमय
जल्द मंजिल की ओर
बढ़ने के लिये।

वह केवल पत्थर नहीं
हमारी यात्रा का प्रगति सूचक है
आगे बढ़ते रहने के लिए
प्रोत्साहन भी देता है वह।

जेठ की तपती धूप हो या
पौष की कड़कती ठण्ड या हो
सावन-भादो की वर्षा
वह हर मौसम झेलकर भी
सड़क के किनारे खड़ा रहकर
हमें जोड़े रखता है।
अपनी यात्रा की प्रगति से।

वह करता नहीं कभी
कोई शिकायत
अपने बदरंग करते
वाहनों की
छोड़ी गई कालिख का
उड़ाई गई धूल और
चिंघाड़ती आवाजों का
वह तो सदा एक ही मुद्रा में
चुप-चुप सहता है
अपने भाग्य में आई
प्रतिकूलताओं को।

अपने गुणों के खातिर ही
उसे देश-दुनिया में मिली है
सम्मान से भरी पहचान
मील का पत्थर साबित होने की
वाह...! मील के पत्थर,
तुम्हें जन-जन का सलाम।

-दिनेश विजयवर्गीय
.....पत्रिका से

2 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति

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  2. सशक्त अभिव्यक्ति सशक्त प्रतीक विधान पहने आई है ये रचना।

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