कहीं जीने से मैं डरने लगा तो….?
अज़ल के वक़्त ही घबरा गया तो ?
ये दुनिया अश्क से ग़म नापती है
अगर मैं ज़ब्त करके रह गया तो….?
ख़ुशी से नींद में ही चल बसूंगा
वो गर ख़्वाबों में ही मेरा हुआ तो…
ये ऊंची बिल्डिंगें हैं जिसके दम से
वो ख़ुद फुटपाथ पर सोया मिला तो….?
मैं बरसों से जो अब तक कह न पाया
लबों तक फिर वही आकर रूका तो….?
क़रीने से सजा कमरा है जिसका
वो ख़ुद अंदर से गर बिखरा मिला तो ?
लकीरों से हैं मेरे हाथ ख़ाली
मगर फिर भी जो वो मुझको मिला तो ?
यहां हर शख़्स रो देगा यक़ीनन
ग़ज़ल गर मैं यूं ही कहता रहा तो…..
सफ़र जारी है जिसके दम पे `कान्हा
अगर नाराज़ वो जूगनू हुआ तो?
-प्रखर मालवीय कान्हा
- 08057575552
http://wp.me/p2hxFs-1AL
अज़ल के वक़्त ही घबरा गया तो ?
ये दुनिया अश्क से ग़म नापती है
अगर मैं ज़ब्त करके रह गया तो….?
ख़ुशी से नींद में ही चल बसूंगा
वो गर ख़्वाबों में ही मेरा हुआ तो…
ये ऊंची बिल्डिंगें हैं जिसके दम से
वो ख़ुद फुटपाथ पर सोया मिला तो….?
मैं बरसों से जो अब तक कह न पाया
लबों तक फिर वही आकर रूका तो….?
क़रीने से सजा कमरा है जिसका
वो ख़ुद अंदर से गर बिखरा मिला तो ?
लकीरों से हैं मेरे हाथ ख़ाली
मगर फिर भी जो वो मुझको मिला तो ?
यहां हर शख़्स रो देगा यक़ीनन
ग़ज़ल गर मैं यूं ही कहता रहा तो…..
सफ़र जारी है जिसके दम पे `कान्हा
अगर नाराज़ वो जूगनू हुआ तो?
-प्रखर मालवीय कान्हा
- 08057575552
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