मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह

Saturday, August 31, 2013

विरह-वेदना..................... शैफाली गुप्ता

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1)   चांद सजाऊं   या आकाश बिछाऊं न पाती तुम्हें 2)   तुम हो आत्मा   तुम्हीं हो धड़कन फिर भी कहां? 3)   नीला आकाश-   उसके व...
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Friday, August 30, 2013

फ़ैल रहा है भ्रष्टाचार..............भारती दास

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अभी अचानक नहीं है निकला, मानव हृदय को जिसने कुचला, विविध रूपधर भर धरती में, अवलोक रहा है वारम्बार, फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार | ज्ञान न...
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Thursday, August 29, 2013

हम आपकी नज़रों में जीते हैं...........अस्तित्व "अंकुर"

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तुम्हारे साथ गुज़री याद के पहरों में जीते हैं, हमें सब लोग कहते हैं कि हम टुकड़ों में जीते हैं, हमें ताउम्र जीना है बिछड़ कर आपसे लेकिन, ...
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Wednesday, August 28, 2013

उमड़ते आते हैं शाम के साये..........इब्ने इंशा

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उमड़ते आते हैं शाम के साये दम-ब-दम बढ़ रही है तारीकी एक दुनिया उदास है लेकिन कुछ से कुछ सोचकर दिले-वहशी मुस्कराने लगा है- जाने क्यों ? ...
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Tuesday, August 27, 2013

पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों का लेबल लगा रहा है....सौजन्यः बलवीर कुमार

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वेदों में ज्ञान-विज्ञान की बहुत सारी बातें भरी पड़ी हैं। आज का विज्ञान जो खोज रहा है वह पहले ही खोजा जा चुका है। बस फर्क इतना है कि आज ...
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Monday, August 26, 2013

अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं.....एक प्रचलित रचना

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अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं, हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं, वसनं मधुरं व...
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कभी मोम बनकर पिघल गया कभी गिरते गिरते संभल गया वो बन के लम्हा गुरेज़ का मेरे पास से निकल गया उसे रोकता भी तो किस तरह वो सख्श इतना अज...
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Contributors

  • Digvijay Agrawal
  • Sweta sinha
  • yashoda Agrawal
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