1)
चांद सजाऊं
या आकाश बिछाऊं
न पाती तुम्हें
2)
तुम हो आत्मा
तुम्हीं हो धड़कन
फिर भी कहां?
3)
नीला आकाश-
उसके विस्तार में
डूबती-सी मैं
4)
क्या याद तुम्हें
आसमान का रंग
नीलिमा-सी मैं
5)
स्याही का रंग
उकेरती पन्नों पे
सोचती तुम्हें
6)
स्पर्श तुम्हारा
स्पंदन बन जीता
आत्मा में मेरी
7)
रंग-विहीन
जो जीवन हो मेरा
रंग तुम्हीं तो
8)
तेरा न होना
या तेरा क्यूं न होना
प्रश्न ये मेरा
9)
नए-पुराने
शब्द-ग्रंथ तुम्हीं हो
फिर भी कहां।
चांद सजाऊं
या आकाश बिछाऊं
न पाती तुम्हें
2)
तुम हो आत्मा
तुम्हीं हो धड़कन
फिर भी कहां?
3)
नीला आकाश-
उसके विस्तार में
डूबती-सी मैं
4)
क्या याद तुम्हें
आसमान का रंग
नीलिमा-सी मैं
5)
स्याही का रंग
उकेरती पन्नों पे
सोचती तुम्हें
6)
स्पर्श तुम्हारा
स्पंदन बन जीता
आत्मा में मेरी
7)
रंग-विहीन
जो जीवन हो मेरा
रंग तुम्हीं तो
8)
तेरा न होना
या तेरा क्यूं न होना
प्रश्न ये मेरा
9)
नए-पुराने
शब्द-ग्रंथ तुम्हीं हो
फिर भी कहां।
--शैफाली गुप्ता
एन.आर. आई.
एन.आर. आई.
खुबसूरत अभिवयक्ति....
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति है आदरणीया-
ReplyDeleteशुभकामनायें -
शैफाली जी सुन्दर हाइकू साझा करने के लिए आभार ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : फूल बिछा न सको
सुन्दर अभिवयक्ति....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeletesundar hiku
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