Friday, August 30, 2013

फ़ैल रहा है भ्रष्टाचार..............भारती दास



अभी अचानक नहीं है निकला,
मानव हृदय को जिसने कुचला,
विविध रूपधर भर धरती में,
अवलोक रहा है वारम्बार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

ज्ञान नहीं है,तर्क नहीं है,
जन है जग है मोह कई है,
कला नहीं है भाव विवेचन,
दयनीय है जीवन के सार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

कौन सन्देशा बांटें घर घर,
किसके भरोसे चले हम पथ पर,
किसके जीवन का हो उपकार,
नष्ट-भ्रष्ट है ब्यक्ति संसार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

जोर-शोर से कभी चिल्लाकर,
कभी हवा में महल बनाकर,
फिर विलीन हो जाते सहसा,
घोष भरा विप्लव अपार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

निर्भयता थी जिनकी विभूति,
पावनता अबोध थी जिनकी,
जो शिवरूप सत्य था सुन्दर,
विखर गए जग के श्रृंगार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

आह्लाद कभी तो अश्रुविशाद,
वेद विख्यात मिथ्या नहीं बात,
काल को नहीं किसी की याद,
जगत की कातर चीत्कार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

लूटकर परसुख सदा निरंतर,
जीविका हरते मूढ़ सा मर्मर,
मानव मन कुछ तो चिंतन कर,
जीवन के सन्देश थे चार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

जीवन हो रहा उपेक्षित,
निज लक्ष्य कर्म दृष्टि से वर्जित,
प्रेरणाशक्ति से क्यूँ है वंचित,
कल को रच दो  नवसंसार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

गिनके हैं सबके दिनचार,
फिर भी मची है हाहाकार,
युग-युग के अमृत आदर्श,
विम्बित करती है जीवन भार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

कर्मठ विनम्र मंगलपथ साधक,
सत्य न्याय सदगुण आराधक,
जन जन बने गर आविष्कारक,
लोकहित का जो करे विस्तार,
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार |

हे विधि फिर सुवासित कर दो,
इस जग को अनुशासित कर दो,
हे दयामय फिर लौटा दो,
आंनंद उमंग और शिष्टाचार,
फ़ैल रहा है भ्रष्टाचार ‌‍ |

--भारती दास

14 comments:

  1. सुन्दर ,बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  2. बढ़िया कविता-
    सुन्दर भाव प्रगटीकरण-

    शुभकामनायें-

    ReplyDelete
  3. सुन्दर ,बहुत सुन्दर..बढ़िया

    ReplyDelete
  4. वाह वाह वाह
    और सिर्फ मेरे पास इस अनमोल यथार्थ से परिपूर्ण रचना
    के लिए अल्फ़ाज़ हैं ''वाह''
    बहुत ही बेहतरीन
    बधाई

    ReplyDelete
  5. वाकई फैल रहा है
    जो फैला रहा है
    वो ही वाह वाह भी
    कह रहा है :)

    ReplyDelete
  6. हे विधि फिर सुवासित कर दो,
    इस जग को अनुशासित कर दो,
    हे दयामय फिर लौटा दो,
    आंनंद उमंग और शिष्टाचार,
    फ़ैल रहा है भ्रष्टाचार ‌‍ |
    सुन्दर पंक्तियाँ .
    कोलाज जिन्दगी के : अगर हम जिन्दगी को गौर से देखें तो यह एक कोलाज की तरह ही है. अच्छे -बुरे लोगों का साथ ,खुशनुमा और दुखभरे समय के रंग,और भी बहुत कुछ जो सब एक साथ ही चलता रहता है.
    http://dehatrkj.blogspot.in/2013/09/blog-post.html

    ReplyDelete
    Replies
    1. राजीवजी जिन्दगी और अनुभव दोनों के अनेक रंगदिखाई देते है और हमें स्वीकार होता है .धन्यवाद .

      Delete
  7. सुन्दर अभिव्यक्ति .खुबसूरत रचना ,कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

    ReplyDelete