( चित्र गूगल से साभार )
बीज बो गए विषमता के
आज यहाँ सापों की खेती उग आई है
क्यारी को फिर से सँवारो
बीज नए डालो प्यार के हमदर्दी के,
मेड़ें मत बाँधो
लकीर मत बनाओ अपनों के
बीच में
मत करो देशका विभाजन
जातिवाद और धरम के नाम पर
क्योकि धरती सबकी है
देश सबका है !!
- संजय भास्कर
बहुत ही सार्थक पंक्तियाँ प्रिय संजय, यही है हर उस व्यक्ति के मन की आवाज़ जो अपनी जड़ों और अपने लोगों से प्यार करता है। हार्दिक शुभकामनायें और बधाई ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 07 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशायद है।
ReplyDeleteक्यारी को फिर से सँवारो
ReplyDeleteबीज नए डालो प्यार के हमदर्दी के
सुंदर भाव जो सभी के अंतर्मन में हो तो धरती स्वर्ग हो ,ये कामना तो कर ही सकते हैं ,ढेरों शुभकामनाएं आपको नए साल की