हाइकु..... डॉ.यासमीन ख़ान
मौन वेदना
हँसते हुए मुख
नम हैं नैना
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कर्म है सिंधु
दूर अभी साहिल
नियति बिंदु।
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मन हिलोर
सजे याद की बज़्म
प्रेम ही ठौर।
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दिल को भाये
सदा से ही सागर
नैना रिझाये।
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महके यास्मीं
जूही,चंपा,कली सी
सजी सी ज़मीं।
डॉ.यासमीन ख़ान
02-05-2019
बहुत सुन्दर हाइकु ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteसुन्दर।
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