लिखी जाती है कविता...
किसी कवि की कलम से...
उतरती है सियाही कागज पर..
पूरी होती जब वो कविता...
पढ़ता है कवि उसे और
उस बदनसीब कागज को
फेंक देता है..
बनाकर लड्डू जैसा गोल,,,,
सोचता है कुछ
फिर उठाकर उस
लड्डू को...
खोलकर एतिहात से...
पढ़ता है
पुनः और पुनः ....
उतारता है उस कविता को...
कागज एक नया लेकर..
फिर लिखता है कुछ...
चेहरे पर उसके
मुस्कान एक
छोटी सी आती है....
सहेज लेता है उसे..
सोचता है...
तसल्ली है उसे..
पूरी हो गई ये कविता..
नहीं है परवाह उसे...
कि क्या सोचेगा..
पढ़ने वाला उस
कविता को...उसे
इस बात की...
कतई नहीं है चिन्ता
क्योंकि जानता है वह
कि यह कविता उसने
लिखी ही है...
अपने आप के लिए..
-मन की उपज
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (03-11-2017) को
ReplyDelete"भरा हुआ है दोष हमारे ग्वालों में" (चर्चा अंक 2777)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीया दीदी आपकी रचना बहुत ही सराहनीय है ,शुभकामनायें ,आभार
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" सशक्त महिला रचनाकार विशेषांक के लिए चुनी गई है एवं सोमवार २७ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
ReplyDeleteजी ... लेखक होना आसान नहीं,वो तब तक सृजन करता है जब तक ख़ुद का लिखा उसे संतुष्ट न कर पाए ..बहुत अच्छा लिखा आपने... बधाई..!!
ReplyDeleteBahut khoobsurti se ek kavi ke bhav darshye Hai aapne
ReplyDeleteSach kahun to shabd nahi Hai Jo is gaherai ko bayan kare...
आदरणीय दीदी -- सचमुच कवि की आत्म संतुष्टि ही रचना को दिव्यता और सार्थकता प्रदान करती है | बहुत ही सराहनीय लेखन | सादर ,सस्नेह शुभकामना सहित --------
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteमैने ये खूबसूरत रचना पहले भी पढ़ी प्रतिक्रिया भी की परन्तु दिखाई नहीं दे रही....???
लाजवाब रचना...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाह बहुत ख़ूब रचना
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