मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Monday, July 3, 2017
‘मुस्कान’.....डॉ० छेदी साह
मुर्दे में भी डाल देगी जान
उषा की प्रथम किरणों सा
तुम्हारी लम्बी बाहें
संगमरमरी देह
बालों पर
छाई सावन की घटा
हिरणी सी आँखें
देखती हो जब तुम
और होती आँखें चार
तब तुम्हारी मीठी मुस्कान
मुझे लगती है
बड़ी ही कान्तिमान,
-डॉ० छेदी साह
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हिन्दी_ब्लॉगिंग
3 comments:
सुशील कुमार जोशी
July 3, 2017 at 8:45 AM
वाह।
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गगन शर्मा, कुछ अलग सा
July 3, 2017 at 5:07 PM
मिश्री सी घुलन
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'एकलव्य'
July 4, 2017 at 11:08 PM
वाह ! क्या बात है सुन्दर ,कोमल भावनाओं से सजी रचना आभार। "एकलव्य"
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वाह।
ReplyDeleteमिश्री सी घुलन
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है सुन्दर ,कोमल भावनाओं से सजी रचना आभार। "एकलव्य"
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