हरियाली बन्ने ! दुल्हन करे है इंतजार
चटक मटकती फिरें भाभियाँ
हुलस हुलस बारी जायें !
हरियाले बन्ने ....
बुआ तुम्हारी लेयं बलाएँ
फिरें नाचती द्वार द्वार में
घुंघरू करें झंकार !
हरियाले बन्ने ....
बहना तुम्हारी हुई बाबरी
घर घर में वो फिरे हुलसती
बार बार बलिहार !
हरियाले बन्ने ....
मां के दिल से पूछे कोई
बारम्बार बलाएँ लेती
नज़र नहीं लग जाए !
हरियाले बन्ने ....
मौसी तुम्हारी रानी जैसी
घर में खुशियाँ लेकर आयी
करे प्रेम - बौछार !
हरियाले बन्ने ....
मामी तुम्हारी फिरें मटकती
सब लोगों को नाच नचाती
करती नयना - चार !
चाची तुम्हारी खुशियाँ बांटे
रंग - बिरंगी बनी घूमती
गाएं गीत मल्हार !
हरियाले बन्ने ....
दादी तुम्हारी घूमें घर में
पैर जमीं पर नहीं पड़ रहे
खुशी कही ना जाए !
हरियाले बन्ने ....
बाबा तुम्हारे , घर के मुखिया
चार पीढियां देख के हरसें
शान कही ना जाय !
हरियाले बन्ने ....
पिता तुम्हारे फिरें घूमते
घर में सबका हाल पूंछते
खुशी छिपे न छिपाय !
हरियाले बन्ने ....
भइया तुम्हारे फिरें महकते
मेहमानों की खातिर करते
इत्र फुलेल लगाय !
हरियाले बन्ने ....
चाचा तुम्हारे आए दूर से
नए नवेले कपड़े पहने
मस्त फिरे बतियायं !
हरियाले बन्ने ....
जीजा तुम्हारे हुए बावरे
फिरें घूमते बन्ना लिखते
हाल कहा ना जाए !
हरियाले बन्ने ....
- सतीश सक्सेना
मधुरिमा में छपी रचना..2.12.2015
मूल रचना यहाँ देखें