Tuesday, December 22, 2015

हरियाले बन्ने ....सतीश सक्सेना


हरियाली बन्ने ! दुल्हन करे है इंतजार
चटक मटकती फिरें भाभियाँ
हुलस हुलस बारी जायें ! 
हरियाले बन्ने ....

बुआ तुम्हारी लेयं बलाएँ 
फिरें नाचती द्वार द्वार में
घुंघरू करें झंकार ! 
हरियाले बन्ने ....

बहना तुम्हारी हुई बाबरी 
घर घर में वो फिरे हुलसती
बार बार बलिहार ! 
हरियाले बन्ने ....

मां के दिल से पूछे कोई
बारम्बार बलाएँ लेती
नज़र नहीं लग जाए !
हरियाले बन्ने ....

मौसी तुम्हारी रानी जैसी
घर में खुशियाँ लेकर आयी
करे प्रेम - बौछार ! 
हरियाले बन्ने ....

मामी तुम्हारी फिरें मटकती
सब लोगों को नाच नचाती
करती नयना - चार ! 

चाची तुम्हारी खुशियाँ बांटे
रंग - बिरंगी बनी घूमती
गाएं गीत मल्हार ! 
हरियाले बन्ने ....

दादी तुम्हारी घूमें घर में
पैर जमीं पर नहीं पड़ रहे
खुशी कही ना जाए ! 
हरियाले बन्ने ....

बाबा तुम्हारे , घर के मुखिया
चार पीढियां देख के हरसें 
शान कही ना जाय ! 
हरियाले बन्ने ....

पिता तुम्हारे फिरें घूमते
घर में सबका हाल पूंछते 
खुशी छिपे न छिपाय ! 
हरियाले बन्ने ....

भइया तुम्हारे फिरें महकते
मेहमानों की खातिर करते 
इत्र फुलेल लगाय ! 
हरियाले बन्ने ....

चाचा तुम्हारे आए दूर से
नए नवेले कपड़े पहने 
मस्त फिरे बतियायं ! 
हरियाले बन्ने ....

जीजा तुम्हारे हुए बावरे
फिरें घूमते बन्ना लिखते
हाल कहा ना जाए !
हरियाले बन्ने ....










 - सतीश सक्सेना
मधुरिमा में छपी रचना..2.12.2015
मूल रचना यहाँ देखें




7 comments:

  1. सतीश जी की हर रचना लाजवाब होती है ।

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-12-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2200 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर विवाह गीत..

    ReplyDelete
  4. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर विवाह गीत..
    Looking to publish Online Books, in Ebook and paperback version, publish book with best
    Publish Online Books

    ReplyDelete