अनगढ़ पत्थरों में अक्श तलाशता
उन्हें सुघड़ बनाने की कोशिश करता
इस कोशिश में चोटिल होता
लेकिन हिम्मत नहीं हारता
वह बेजान पत्थरों में जान डालता
शिल्पी का शिल्प जब साकार हुआ
बेजान थी वह मूरत,जिससे उसे प्यार हुआ
एक दिन कला का पारखी आया
ले गया उस मूरत को,
जिसे शिल्पी ने दिलो जान से सजाया.
काश कि ऐसा होता
शिल्पकार का दिल पत्थर का होता
तो अपनी प्यारी मूरत के जाने पर
वह नहीं रोता, वह नहीं रोता
-अनन्त माहेश्वरी, खण्डवा, मध्य प्रदेश
स्रोतः रसरंग
उन्हें सुघड़ बनाने की कोशिश करता
इस कोशिश में चोटिल होता
लेकिन हिम्मत नहीं हारता
वह बेजान पत्थरों में जान डालता
शिल्पी का शिल्प जब साकार हुआ
बेजान थी वह मूरत,जिससे उसे प्यार हुआ
एक दिन कला का पारखी आया
ले गया उस मूरत को,
जिसे शिल्पी ने दिलो जान से सजाया.
काश कि ऐसा होता
शिल्पकार का दिल पत्थर का होता
तो अपनी प्यारी मूरत के जाने पर
वह नहीं रोता, वह नहीं रोता
-अनन्त माहेश्वरी, खण्डवा, मध्य प्रदेश
स्रोतः रसरंग
Marmik avam bhaavpurna.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह ।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletegood one
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteBahut hi marmsparshi sunder rachna...
ReplyDeleteBahut hi marmsparshi sunder rachna...
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