आप
आप क्या जाने मुझको समझते हैं क्या ?
मै तो कुछ भी नहीं
आप क्या जाने मुझको समझते हैं क्या ?
मै तो कुछ भी नहीं
इस क़दर प्यार
इतनी बड़ी भीड़ का मै रखूँगा कहाँ ?
इस क़दर प्यार रखने के काबिल नहीं
मेरा दिल मेरी जान
मुझको इतनी मोहब्बत ना दो दोस्तों -2
सोच लो दोस्तों
इस क़दर प्यार कैसे संभालूँगा मै ?
मै तो कुछ भी नहीं
प्यार ?
प्यार इक शख्स का अगर मिल सके तो
बड़ी चीज़ है जिंदगी के लिए
आदमी को मगर ये भी मिलता नहीं
ये भी मिलता नहीं
मुझको इतनी मोहब्बत मिली आपसे -2
ये मेरा हक नहीं मेरी तकदीर है
मै ज़माने की नजरो में कुछ न था -2
मेरी आँखों में अबतक वो तस्वीर है
इस मोहब्बत के बदले मै क्या नज़र दूँ ?
मै तो कुछ भी नहीं
इज्ज़ते
शोहरते
चाहते
उल्फ़ते
कोई भी चीज़ दुनिया में रहती नहीं
आज मै हु जहा कल कोई और था -2
ये भी इक दौर है वो भी इक दौर था
आज इतनी मोहब्बत न दो दोस्तों -2
कि मेरे कल की खातिर न कुछ भी रहे
आज का प्यार थोडा बचा कर रखो -2
मेरे कल के लिए
कल ?
कल जो गुमनाम है
कल जो सुनसान है
कल जो अनजान है
कल जो वीरान है
मै तो कुछ भी नहीं हूँ
मै तो कुछ भी नहीं
-पता नहीं इसे किसने लिखा है
मुझे अच्छी और सारगर्भित लगी ये रचना
मुझे अच्छी और सारगर्भित लगी ये रचना
बहुत सुंदर गीत, हम तक पहुचने के लिए सुक्रिया
ReplyDeleteशौर्य भाई
Deleteस्वागतम्
thanx for sharing.....bahut meaningful aur sundar rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteकल ?
ReplyDeleteकल जो गुमनाम है
कल जो सुनसान है
कल जो अनजान है
कल जो वीरान है
मै तो कुछ भी नहीं हूँ
मै तो कुछ भी नहीं
जिसने भी लिखा हो
बहुत खूब लिखे हैं ....
bahut sundar rachna apane padhvayi isake liye aabhar !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteAtti sundar Rachana... Yashoda , di
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