नाम से भी मेरे नफ़रत है उसे
मुझसे इस दर्जा मुहब्बत है उसे
... मुझको जीने भी नहीं देता वो
मेरे मरने की भी हसरत है उसे
रूठ जाऊँ तो मानता है बहुत
फिर भी तड़पाने की आदत है उसे
उसको देखूँ मैं बंद आँखों से
गैरमुमकिन सी ये चाहत है उसे
जब भी चाहे वो सता लेता है
ज़ुल्म ढाने की इजाज़त है उसे
वो 'मनु' पे है जाँ-निसार बहुत
और 'मनु' से ही हिक़ारत है उसे
-मनु भारद्वाज 'मनु'
behtreen udgaar.
ReplyDeletebhot khub.waaaah
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